ऑनलाइन कक्षाएं
ऑनलइन कक्षाओं का आया दौर,
विद्यार्थी घर में हो रहे हैं बोर
एक बोली मुझसे, मैडम आपकी बहुत याद आए,
हम सखियां भी अब मिल नहीं पाएं
दूजी बोली, मन नहीं लगे सुबह और शाम,
मम्मी कराती हैं ,घर के भी काम
मैनें सबको बोला है, जल्दी ही टीका आएगा
पहले सा मौसम लाएगा..
बच्चाें थोड़ा सब्र करो, वो दिन जल्दी है आएगा
वो दिन जल्दी ही आएगा….
*****✍️गीता*****
क्या बात है, वर्तमान में चल रही ऑनलाइन कक्षाओं पर इतनी बेहतरीन कविता। बहुत ही सुंदर।
रोज़ का ही अनुभव साझा किया है ईशा जी ।समीक्षा के लिए बहुत सारा धन्यवाद
आप सावन मंच का चमकता सितारा हैं गीता जी। अपनी कविताओं से हमें अभिभूत करते रहा करिये। वाह
इतने सम्मान के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद पीयूष जी 🙏
जी बिल्कुल कविताएं ज़रूर मिलेंगी आपको पढ़ने के लिए ।
आपकी हर कविता शानदार है। वाह
सादर आभार एवं बहुत बहुत धन्यवाद सर 🙏
कोरोना वैश्विक महामारी के चलते यह ऑनलाइन कक्षाओं के दौर आया है। जिसका आपने बहुत ही सटीक चित्रण किया है आपने। वर्णनात्मक शैली की इस विशिष्टता को सैल्यूट है। आपकी कवि दृष्टि जीवन का हर छोर छूती है। वाह
सुन्दर समीक्षा हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद सर 🙏
ये सब बातें जिनका कविता में जिक्र किया है ,ये तो विद्यार्थियों के साथ रोज ही हो जाती हैं। कविता को पसंद करने के लिए आभार सर ।
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने गीता जी। समसामयिक होने के साथ सरस् भी है।
इस टिप्पणी के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद रमेश जी🙏
बहुत बहुत आभार
वाह वाह क्या बात है!!!!!!!!!! अतिसुंदर चित्रण
समीक्षा के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया भाई जी , सादर आभार 🙏
सुन्दर अभिव्यक्ति
धन्यवाद सुमन जी
Very nice lines
Thanks Allot Chandra ji 🙏
Wow बहुत खूब
Thank you so much Kamla ji
सुंदर अभिव्यक्ति
धन्यवाद मोहन जी
कोरोना महामारी के चलते सब कार्य रुक से गए हैं, इसका असर विद्यालय पर भी पड़ा है और बच्चों पर भी
वर्तमान स्थिति से अवगत कराती बहुत सुंदर पंक्तियां
आपकी इस समीक्षा हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद प्रतिमा जी।