Categories: शेर-ओ-शायरी
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
मेरे मित्र
एक खुशबु सी बिखर जाती है मेरे इर्द गिर्द जब याद आते हैं मुझे मेरे मित्र जब भी मन विचलित होता है किसी अप्रिय घटना…
मैं छत्तीसगढ़ बोल रहा हूँ
मै चंदुलाल का तन हूँ। मैं खुब चंद का मन हूँ। मैं गुरु घांसी का धर्मक्षेत्र हूँ। मैं मिनी माता का कर्म क्षेत्र हूँ।। मैं…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
वृद्धाश्रम
ओ माँ कितनो को तुझ पर कविताएं पढ़ते देखा है तेरी तारीफों में कितने कसीदे गढ़ते देखा है, कितनो को शब्दोँ से सिर्फ तुझपर प्यार…
Wah
धन्यवाद सर
सुंदर
बहुत बहुत आभार सर
अच्छी कविता
धन्यवाद सर
Amazing!😊🤗
धन्यवाद
AAP ek successful kaviytri hai
बहुत बहुत आभार
वाह
धन्यवाद सर