कचरे में खोयी जिंदगी

चुन कर कचरे से कुछ चन्द टुकड़ों को,
जिंदगी को अपनी चलाते हुए,
अक्सर देखे जाते हैं कुछ लोग थैलो में जीवन जुटाते हुए॥
थम जाती है जहाँ एक पल में साँसों की डोरी,
वहीं बच्चों को अक्सर चुपाते हुए, दो रोटी को कचरा उठाते हुए॥
अक्सर देखे जाते हैं कुछ लोग थैलो में जीवन जुटाते हुए॥
जहाँ बन्द होती है आँखे हमारी, जहाँ भूल कर भी हम रुकते नहीं हैं,
लगाते हैं खुद ही जहाँ ढ़ेर इतने, एक लम्हा भी जहाँ हम ठहरते नहीं हैं,
करते काम गन्दा खुद ही हम जहाँ पर,
चेहरे भी अपने छुपाते नहीं,
वहीं से ही अक्सर देखे जाते हैं कुछ लोग थैलो में जीवन जुटाते हुए॥
~ राही (अंजाना)
SO Nice Poem
Thanks
Nice rhyme