कमा लो धन भले कितना

कमा लो धन भले कितना
मगर नजरें धरा पर हों,
किसी को तुच्छ मत समझो,
नजर से सब बराबर हों।
पढाई उच्च हासिल कर
मिला प्रमाण कागज में
वही व्यवहार में दिख जाये
तब है बात कागज में।
अन्यथा कुछ नहीं है
शून्य है जो भी पढ़ा हमने
अगर व्यवहार में लाये नहीं
तब क्या पढ़ा हमने।
कमाया हो अरब से भी अधिक
लेकिन किसी धनहीन का
सहारा बन न पाये गर
कमाया क्या भला हमने।
भलाई साथ जाती है
अधिक रहता यहीं पर है,
किसी को भी हमेशा को
नहीं रहना जमीं पर है।

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Responses

  1. “लेकिन किसी धनहीन का सहारा बन न पाये गर
    कमाया क्या भला हमने।भलाई साथ जाती है”
    बहुत ही उच्च स्तरीय विचार और उत्तम लेखन है। कवि सतीश जी ने कविता के माध्यम से समाज को संबोधित करते हुए कहा है कि यदि आप सक्षम है तो किसी धनहीन का सहारा बनें। सुन्दर शिल्प, काबिले तारीफ़ रचना

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