कमी बता देना
बुरी आदत मेरी
नजरअंदाज मत करना
मुझे बता देना।
सच में गर मित्र हो,
सुधार करने को
मुझे बता देना।
गीत कोई तुम्हें
लगें कर्कश मेरे,
भाव मेरे कहीं पर
दुखाएँ दिल तेरा गर,
मुझे बता देना।
बिना बताये
भान हो पाना,
नहीं सम्भव स्वयं
स्वयं को जाना
नहीं मुमकिन स्वयं।
तुम मुझे देखकर
कमी बता देना,
सुधार करने को
कमी बता देना।
Very nice poem
अति सुन्दर रचना
बुरी आदत मेरी
नजरअंदाज मत करना
मुझे बता देना।
सच में गर मित्र हो,
सुधार करने को
मुझे बता देना।
__________ अपने मित्र से अपनी कमियों को बताने की मासूम सी गुजारिश करती हुई कवि सतीश जी की बहुत ही श्रेष्ठ रचना कवि ने इसमें बताया है कि अच्छे मित्र न केवल साथ देते हैं बल्कि आपस में एक दूसरे की कमियों को भी बता कर सच्ची मित्रता निभाते है। लाजवाब अभिव्यक्ति और अति उत्तम लेखन
अति सुन्दर कविता
अतिसुंदर रचना
सर्वश्रेष्ठ कवि व सर्वश्रेष्ठ सदस्य सम्मान मिलने की बहुत बहुत बधाई
बहुत सुंदर रचना