करने को कुछ और “करम” अभी बाकी हैं
टूट चूका हूँ , चाह जीने की छोड़ चूका हूँ !
फिर भी ज़िंदा हूँ क्यूँकि साँसे कुछ “नम” अभी बाकी हैं …!
ना जाने कितने ही दर्द सह चुका !
ना जाने और कितने ही खाने को “ज़ख़्म” अभी बाकी है !
छोड़ के जा चुके हैं जो हमको !
“संग हैं हर पल मेरे ” मुझमें ये “भ्रम ” अभी बाकी है !
नाम-ए-पर्ची बहुत लम्बी है मेरे अपनों की !
बस इसी बात का मुझमें थोड़ा सा “अहम ” अभी बाकी है !
मेरा क्या है ! तू मेरे चाहने वालों को सलामत रखना …
ओ -खुदा ! अगर मेरे हिस्सें में थोड़ा-सा भी “रहम” बाकी है …!
ग़म को पीता हूँ , हँसकर जीता हूँ !
कर ले ज़िंदगी , जो भी करने को तेरे पास ” सितम ” अभी बाकी है !
सोचा कई बार की छोड़ दूँ ये दुनिया !
पर निभाने को…ऐ-नीरज… कई “धर्म ” अभी बाकी हैं
हिदायत-ऐ-नीरज …! ज़रा सोच-समझ के लगाना दिल ऐ-यारों
कि दिल के ज़ख़्मों के “मरहम” बनना अभी बाकी है… !!!
_______नीरज ” फ़ैज़ाबादी ”
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Poonam singh - September 26, 2019, 6:15 pm
Nice
Neeraj Bhan - September 26, 2019, 6:20 pm
shukriya
Ashmita Sinha - September 26, 2019, 6:17 pm
Nice
देवेश साखरे 'देव' - September 26, 2019, 7:05 pm
Bahut khub
D.K jake gamer - September 26, 2019, 7:32 pm
Nice
राम नरेशपुरवाला - September 26, 2019, 7:39 pm
Nice
महेश गुप्ता जौनपुरी - September 26, 2019, 11:06 pm
वाह बहुत सुंदर
NIMISHA SINGHAL - September 27, 2019, 6:36 pm
Great