Categories: शेर-ओ-शायरी
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कविता : मोहब्बत
नदी की बहती धारा है मोहब्बत सुदूर आकाश का ,एक सितारा है मोहब्बत सागर की गहराई सी है मोहब्बत निर्जन वनों की तन्हाई सी है…
चलो फिर से कुरेदते हैं।
चलो फिर से कुरेदते है बीती सुध को, चंद निमेषों को, अनुराग भरें संदेशों को, चलो फिर से कुरेदते है। क्या अनुपम वेला! आह्लादों का…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
जब भी वो आ जाती है
जिंदगी में उम्मीदें जैसे दोबारा आ जाती है इस कदर से खुमारी उसकी मुझपे छा जाती है। यारो तुम्हें पता है ऐसा कब होता…
बहुत खूब
धन्यवाद