Categories: शेर-ओ-शायरी
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
मृत टहनियाँ
वो टहनियाँ जो हरे भरे पेड़ों से लगे हो कर भी सूखी रह जाती है जिनपे न बौर आती है न पात आती है आज…
भाई जैसा मेरा दोस्त और उसकी दोस्ती
दोस्तों, फ्रेंड्स तो सबके होते है, मेरे भी है और आपके भी होंगे, परन्तु एक अच्छा और सच्चा मित्र किस्मत वालों को ही मिलता है।…
एक सावन ऐसा भी (कहानी)
किसी ने कहा है कि प्रेम की कोई जात नहीं होती, कोई मजहब नहीं होता ।मगर हर किसी की समझ में कहां आती है…
दुर्लभ पेड़
स्वतंत्रता दिवस काव्य पाठ प्रतियोगिता:- बहुत सारी वनस्पतियों में, बस एक ही है वो जादुई पेड़! हरा -भरा ,घना -निराला, अलग-अलग सी कलियां उसकी, खुबसूरत…
सुंदर
धन्यवाद सर
इंसान जैसे कर्म करता है वैसे ही फल पाता है, बहुत सुंदर भाव
बहुत बहुत आभार सर
हौसला अफजाई करने के लिए
बहुत सुन्दर
धन्यवाद
Karman ki gati niyaari. Taare na Tari.
Aapki poem k bhi kuch ese hi bhawart hai. Atisundar.
धन्यवाद जी
बहुत बढ़िया कर्म ही पूजा है
धन्यवाद सर
बहुत ही अच्छी कविता है!
धन्यवाद जी
Sahi kaha
धन्यवाद