Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
मैं हारूँगा नहीं
थक चूका हूँ , पर हारा नहीं हूँ मैं निरंतर चलता रहूँगा आगे बढ़ता रहूँगा उदास हूँ ,मायूस हूँ पर मुझे जितना भी आज़मा लो…
जीवन भर यह पाप करूँगा
स्वयं टूटकर स्वयं जुडूँगा सब कुछ अपने आप करूँगा। विगत दिनों जो भूलें की हैं उनका पश्चाताप करूँगा।। मेरी त्रुटि थी किया भरोसा मैंने अपने…
किया प्यार तुमसे
किया प्यार तुमसे, मैं करता रहूँगा। रस्म- ए-वफा को निभाता रहूँगा।। किया……. सूरत तुम्हारी मैं दिल में बसाई । अपना बनाने की चाहत है आई।।…
कब तक मै यूँ ख़ामोश रहूँगा
कब तक मै यूँ ख़ामोश रहूँगा, अब मुझे तू शब्दों में बयां हो जाने दे, कब तक मै राहों में यूँ भटकता रहूँगा, अब मुझे…
भावपूर्ण रचना प्रस्तुत किया है आपने।
बहुत बहुत धन्यवाद
Bahut sundar kavita
Thank you
अति सुन्दर विचार प्रस्तुत करती हुई बहुत सुन्दर कविता