कर मचाए शोर

चोर मचाए शोर
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चोर मचाए शोर -शोर जी ,
अजब देश का हाल,
गाल बजाकर गाना गाए,
चोर -चोर का शोर मचाए अंदर से बेहाल।
मुंह के यह वाचाल मति गई इनकी मारी ।
शिकंजे में फंसने को बुला रही तकदीर तुम्हारी ।
सत्तर साल कड़ी मेहनत से मटका बोया,
पाप की गगरी भर- भर कर उसे खूब संजोया।
कोड़ा पड़ा जो एक बार दिल कप -कप रोया।
छलक -छलक पापो ने अपना आपा खोया ।
जाल में फंस कर चिड़िया जैसे शोर मचाती ,
उसी हाल से गुजर रही भ्रष्टों की पार्टी ।
ज्यादा समय नहीं बाकी सुनो
काकी और चाची ।
जेल भरो आंदोलन की हो चुकी तैयारी ।
निमिषा सिंघल

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