कल के सहारे आज को मत गँवाओ नर

कल के सहारे आज को मत गँवाओ नर ।
कल को क्या होना, ये किसने जाना है ?
आज अपना कल किस का है किसने देखा है ?
पल भर की जिन्दगी किसने जीभर के जिया है ।
कल के सहारे आज को मत गँवाओ नर ।।1 ।।

आज जिन्दगी कल मौत है ।
आज आश है तो कल क्या है तुमने देखा है ।
आज समय है कल विनाश की घड़ी ।
क्षण-क्षण बदलती है समय कल क्या है पहचाना है ।
कल के सहारे आज को मत गँवाओ नर ।।2।।

समय की वेग कोई जान नहीं पाता है ।
काल के प्रहार कोई सह नहीं पाता है ।
वक्त की धारा बदलती है पल-पल ।
ये जिन्दगी कल के भरोसे जी नहीं जाती है।
कल के सहारे आज को मत गँवाओ नर ।।3।।
कवि विकास कुमार

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