कविता : देखो ,नया वर्ष आया है

कविता : देखो ,नया वर्ष आया है
आ रहा व्योम से मदभरा प्यार
बह रही हर गली में सुधा धार
कौमुदी का बिखरता मदिर गान
हर किरन के अधर पर सरस तान
प्रगति का नया दौर आया है
जीवन में खुशियां लाया है
देखो नया वर्ष आया है ||
जलाओ पौरुष अनल महान
वेद गाता जिसका यश गान
उठ रहा खुशियों का ज्वार
कर रहा गर्जन बारम्बार
लुटाने को तुम पर सर्वस्व
धरती पर ,आकाश आया है
देखो नया वर्ष आया है ||
पहन रही धरती नव पीताम्बर
गगन से उतरी है श्री धरा पर
मंगल आरती के स्वर निनादित
दुन्दुभी गुरु घोष है गर्जित
भीना भीना मादक सौरभ
अभिसार निमंत्रण लाया है
देखो नया वर्ष आया है
जीवन में खुशियां लाया है
देखो नया वर्ष आया है ||
Beautiful poetry