कश्मकश

समझाना चाहते थे हम उनको क्या
और वे समझे हैं देख लो जी क्या
ये देख के लगता है यूं कश्मकश में
चुप रहना ही बेहतर है इस जगत में

शब्द का उत्तर शब्द ही‌ तो होता है
भावना विलग हो तो कोई क्या करें
प्यार की शुरुआत संवाद से होता है
संवाद ही विवाद हो तो कोई क्या करें

सत्य का प्रचलन है पूरे विश्व में आखिर
शायद न रहा हो किसी आंगन में प्राचिर
सत्य से परेशान हैं लगभग ही आदमी
सत्य खुद को समझ लें तो कोई क्या करे

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