कहना चाहता हूँ
ले लेती है रूप कविता , जब अक्षर दुल्हन बन जाते है
गीत गजल तो दिल की बातें जुबां पर ले आते है
आँखों से ना बहाओ पानी , सब कायर कह जाते है
बह निकले ये लबों के रस्ते , तब शायर बन जाते हैं
तो मैं भी इन शब्दों के मेले में झूलना चाहता हूँ
अल्फाजों के मोती से माला पिरोना चाहता हूँ
लो चल पड़ा मैं भी कहने जो मैं कहना चाहता हूँ ||
#पंकज#
बहुत उम्दा
धन्यवाद…
Good
Nice