क़हर

एक तरफ कर्ज तो दूसरी तरफ महामारी करोना।
कैसे जिये हम यही कहता है आज सारा ज़माना।।
कमाते है हम तब ही दो वक्त की रोटी मिलती है।
न काम है न पैसा है अगर है तो करोना का डर है।।
स्कूल कालेज सब बंद हुए शिक्षक विद्यार्थी मारे गये।
अनेक बच्चों के भविष्य बन कर भी आज बिगड़ गए।।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

कोरोनवायरस -२०१९” -२

कोरोनवायरस -२०१९” -२ —————————- कोरोनावायरस एक संक्रामक बीमारी है| इसके इलाज की खोज में अभी संपूर्ण देश के वैज्ञानिक खोज में लगे हैं | बीमारी…

Responses

  1. कोरोना बीमारी पर यथार्थ चित्रण ।
    लेकिन सर शिक्षक और विद्यार्थी मारे नहीं गए हैं ऑनलाइन क्लासेज़ में बिज़ी हैं

    1. गीता बहन अँनलाइन अध्ययन गरीब के बच्चे कहाँ पढ़ पाते है। आज हमारे देश के हर गाँव में अँनलाइन के अंतर्गत अध्ययन कितनी कारगर है। हम और आप अच्छी तरह से जानते है।मोबाइल से पढ़ने के लिए कम से कम बच्चों को व अभिभावक को मोबाइल के अच्छे नाँलेज होना भी जरुरी है। जो निरक्षर है वह जिनका जीवन गाँव में ही बीत गया वे सभी अपने बच्चो को पढ़ाए तो कैसे पढ़ाए ?

  2. आपकी बात और भावना दोनों से सहमत हूँ मैं सर
    गरीबों के पास सिलेंडर भराने के पैसे नहीं होते तो फोन और नेट रीचार्ज के पैसे कहां से होंगे ?
    आज के समय में घर की दाल रोटी चलाने में भी मिडिल क्लास के पसीने छूट रहे हैं
    फिर यह सब अफोर्ड कर पाना हर फैमिली के लिए संभव नहीं है…
    उम्दा अभिव्यक्ति और सत्य पर आधारित रचना
    👌👌👌👏

    1. आपकी सोच मेरी कविता को और मजबूत कर दिया। फिर से मैं आपको दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ।

+

New Report

Close