*कान्हा की छवि सा*

कान्हा की छवि सा,
मुख पर तेज उगते रवि सा
मेरी गोद में आया था,
वो मेरे मन को भाया था
भोली सी सूरत है उसकी,
कान्हा सी मूरत है उसकी
मैं उसको पाकर हुई निहाल,
उसकी सूरत-सीरत बेमिसाल

*****✍️गीता

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Responses

  1. अपने बच्चे के प्रति माँ
    का छलकता हुआ प्रेम बहुत ही मार्मिक एवं वात्सल्य से परिपूर्ण है…
    भाव बहुत ही शुद्ध हैं और ममता झलक रही है

  2. इतनी सुंदर और प्यार भरी समीक्षा के लिए आपका ह्रदय तल से आभार प्रज्ञा, बहुत बहुत धन्यवाद

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