Categories: शेर-ओ-शायरी
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जनून
जुनून जुनून जुनून नफरतों का है ये जुनून कहीं जात तो कहीं जमात रंग – बिरंगा हो गया खून कहीं हत्या कहीं हड़ताल सवाल के…
“कामयाबी की ईमारत”
आज भी वो दिन याद आते है उसे भुलाऊ कैसे ये कामयाबी की ईमारत छोड जाऊ कैसे… बचपन में कलम थमाई थी आपने, आज वो…
रोज़ होती रही तेरे वादों की बरसात
रोज़ होती रही तेरे वादों की बरसात कमाल ये के कभी हम भीग नहीं पाएं तंगदिल है मेरा या तेरा सिलसिला क़ाफ़िर न तुम समझे…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
तुम शायद जान नहीं पाए
*एक अंश तुम्हारा मुझमें है, तुम शायद जान नही पाए। हर पल मैं तुममे दिखता हूँ, तुम शायद मान नहीं पाए।।* अब कैसे मैं तुमको…
वाह, वाह बहुत ख़ूब
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बहुत खूब
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