Categories: मुक्तक
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
लाइफ इन सिटी
थकी – थकी – सी है यह बेज़ार ज़िंदगी अब इसे थोड़े आराम की ज़रूरत है पसीने – पसीने हो गई है जल – जल…
मैं तुमको भूल जाऊंगा
पुरानी डायरियों से- **मैं तुमको भूल जाऊंगा** मेरी आंखों को ढलने दो मैं तुमको भूल जाऊंगा, मेरी सांसें निकलने दो मैं तुमको भूल जाऊंगा l…
हिन्दी गजल- ठहर जाऊंगा |
हिन्दी गजल- ठहर जाऊंगा | तेरी जुल्फ नहीं जो बिखर जाऊंगा | आजमा लो हद से गुजर जाऊंगा | झोंका गिरादे रेत की दीवार नहीं…
प्रदूषण और ज़िन्दगी
प्रदूषण बढ़ रहा है, ज़िन्दगी हो रही है धुआं-धुआं सी, सांसों में घुटन है, अशुद्ध सी पवन है ज़िन्दगी हो गई है धुआं-धुआं सी, ना…
Nice
धन्यवाद
Sunder
thanks
Nice
thanx
Khub likha
धन्यवाद
So nyc ji
धन्यवाद
Nice