किनारे पर बैठे बैठे हम कैसे दरिया में डूब रहे हैं

किनारे पर बैठे बैठे हम कैसे दरिया में डूब रहे हैं,
न जाने इतना गहरा दरिया हम कैसे देख रहे हैं,
आरक्षण का पानी पीकर देखो कैसे फूल रहे हैं,
कैसे एकतरफा सिस्टम से हम बरसों से जूझ रहे हैं,
कुछ प्रतिशत लाकर ही नौकरी के मौके चूम रहे हैं,
और मेहनत करने वाले क्यों घर के पंखो पर झूल रहे हैं।।
राही (अंजाना)
Very nice
प्रणाम
Real truth of India Asm
Thank you bro
Wlcm bro
Very nice