किसी गरीब की
किसी गरीब की
कभी मदद न की हो तो
आज ही कीजिए,
टेंशन न लीजिए
देर मत कीजिये
खुदा के वास्ते
कुछ दान-धरम कीजिये।
खुदा भले ही न दे
इसके बदले में तुम्हें,
मगर अब तक जो मिला
उसी को ध्यान में रख
किसी मुफ़लिस कभी
मदद न की हो तो
आज ही कीजिये,
टेंशन न लीजिए
आपको सुख मिलेगा
सदा बरकत रहेगी,
दुआ कुबूल होगी,
रब की रहमत मिलेगी।
वाह वाह, क्या बात है, बहुत खूब
बहुत बहुत धन्यवाद
वाह बहुत ख़ूब ,कवि सतीश जी के अति सुंदर विचारों से परिपूर्ण बहुत ही शानदार रचना ।किसी की मदद करने से हमेशा ही सुख की अनुभूति होती है । बहुत सुंदर विचार । अपने विचार व्यक्त करने की लाजवाब अभिव्यक्ति , भाव पूर्ण रचना सुंदर प्रस्तुति
इस सुंदर समीक्षा हेतु आपको हार्दिक धन्यवाद, यह समीक्षा निश्चय ही प्रेरक और मार्गदर्शक है। अभिवादन
परोपकाराय सताम् विभूतया
परोपकार करना मानव का धर्म है जिसे सतीश जी द्वारा कविता में पिरोकर हमारे समक्ष परोसा गया है हमें सिर्फ इसे पढ़ने की नहीं वरन जीवन में उतारने की आवश्यकता है
इस सुंदर टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद प्रज्ञा जी। बहुत बहुत आभार। मन मे सुखद अनुभूति हुई।
वाह वाह बहुत खूब विचारणीय तथ्य
सादर धन्यवाद शास्त्री जी