किस्मत
ऊपर वाले ने लिख भेजी, सबकी अलग कहानी है
किसी को दिया;गम ए बुढ़ापा, कहीं तड़पती जवानी है
किसी को दिया दिनभर कणभर, कहीं आँखों में पानी है
तस्वीर नहीं; फुटपाथ वाले, बचपन की यह कहानी है
पैदा हुआ तो परिवार को, खुशनुमा नहीं; हुआ अहसास
ना ही बजायी गयी थालियां, गालीयों का था अट्टाहास
तब तक सब कुछ था स्वर्णिम, जब तक उपलब्ध स्तनपान
बढ़ने लगे बचपन ओर, होने लगा जीवन का दुर्गम ज्ञान
सोने को है गोद धरती की, आसमाँ की चादर है
ढकने को तन फटे पुराने, चिथड़ों की कातर है
सर्दी गर्मी की परवाह नहीं, डर बारिश का लगता है
फुटपाथ पर गाड़ी चढ़ाने वाले, अमीरजादे का लगता हैं
रोज क्षुधा की आग बुझाने, हाथ फैलाते है
सिग्नल देख रुकती गाड़ी पर, दौड़ कर जाते है
कोई मारे कोई दुत्कारे, कई आँख दिखाते हैं
जो मिल जाये इक रुपया तो, फुले ना समाते है
अभावों में भी भाव खुशियों का ढूंढ ही लाते है
तरस ना खाना हम पर साहब, हम भी मेहनत का खाते हैं
आज सुखी रोटी की जगह, बहना फल ले आयी है
मिल बाँट कर पार्टी करने, काम छोड़ बुलाने आयी है
खुद की भूख छिपायी है
Padhkar mja aa gya
आप भी बढ़िया लिखते हो
बढ़िया
Nice poem
Wow
Mst
Shandar
Likhte raho tum padhte rahe hum
Get get grt
ult
Wow mst grt
Wow mst grt