कुंडी खोलो ना

कुंडी खोलो ना दिल की
नई सुबह है खिली सुहानी
चिड़िया भी कहती,
भजन करो ईश्वर का मन से
क्यों जिह्वा सिल दी।
दिनकर की किरणों ने आकर
शक्ति नई भर दी।
कुंडी खोलो ना दिल की

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

जिस भजन को सुनके तेरी नैनों से बहते हैं नीर

जिस भजन को सुनके तेरी नैनों से बहते हैं नीर वह भजन हैं तेरे लिए अमृत तुल(तुल्य) (2 बार गाये) ————————————————————————– जिस भजन को सुनके…

Responses

+

New Report

Close