Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
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मिस्टर लेट लतीफ
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अच्छाई नहीं मिलती
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बहुत सुंदर
Thanks a lot
Thanks
अतिसुंदर भाव
Thanks
लेकिन कुछ कल्पनाएं
कल्पनाएं ही रह जाती है
बहुत सुंदर
Tq
वाह दिल को छू लिया।
धन्यवाद