कुछ नहीं है
कुछ नहीं है मेरे पास,
अपना तुम्हें देने के लिए ।
मन, तो तुम्हारे पास ही है,
बेचैन तुमसे मिलने के लिए ।
दिल, तुम्हारे सीने में धड़कता है,
साँस लेता हूँ बस जीने के लिए ।
वक्त, दूसरों को बेच दिया,
जरूरतों को पूरी करने के लिए ।
खुशियाँ, तुम्हारे साथ में है,
विवश, विरह का जहर पीने के लिए ।
जिंदगी, तुम्हारे नाम ही है,
जी रहा हूँ बस जीने के लिए ।
जज्बात, बस तुम्हें दे सकता हूँ,
वजह तुम हो लिखने के लिए ।
और कुछ नहीं है मेरे पास,
अपना तुम्हें देने के लिए ।
देवेश साखरे ‘देव’
वाह बहुत सुंदर रचना ढेरों बधाइयां
धन्यवाद
सुंदर रचना
धन्यवाद
Wah
Thanks
Kya khoob likha h sir g
Thanks
Sundar rachna
Thanks