कुछ बीते पलों की बात थी

कुछ बीते पलों की बात थी
उनसे हुई पहली मुलाकात थी
रुक तो गया था वह शमां
क्योंकि
झुकी हुई पलकों की वो पहली शुरुआत थी
कुछ बीते पलों की बात थी….

दीदार का वह एक हसीं आलम था
पहली बार उनके लिए दिल मेरा गुलाम था
आया तो था वहाँ पढ़ने लिखने
लेकिन….
मेरी किताबों में तो बस उसका ही नाम था
क्या बताऊं अब
यहीं तो एक प्यार कि शुरुआत थी
कुछ बीते पलों की बात थी ….

पहले तो कॉलेज जाने पर ही चीड़ सा जाया करता था
उनके मिलने के बाद तो रविवार भी जाया करता था
सोचता कि उन राहों पर कहीं न कहीं तो मिलेगी
तभी उन हवाओं के साथ किया इंतजार करता था
वो तो मेरी निगाहों की इंतजार थी
कुछ बीते पलों की बात थी…….

उन झुकतीं नजरों ने मुझे पागल बना दिया
रोज आकर मेरे सामने मुझे इक आशिक बना दिया
नादान तो था मैं मगर वो दिवानगी का दौर भी
जिसने मुझे अपनी जुल्फों का कायल बना दिया
वह दोस्ती भरी अदा भी क्या बेमिसाल थी
कुछ बीते पलों की बात थी …..

एक बार घटा फिर बरस रही थी
वही कॉलेज में खड़ी वो भीग रही थी
अपने छाते का परमान देकर उसे
दोनों भी एक छाते में कुछ सिमट से गए थे
और वह बाहर अपना हाथ भीगा रही थी
मत पूछो
वह तो हमारे प्यार से भीगी बरसात थी
कुछ बीते पलों की बात थी……

उन होठों कि मुस्कान मानो हम अपनी समझते थे
न जाने क्यो उनकी हर बातों से हम निखरते थे
दोस्ती या प्यार का रिश्ता अंजान था मगर
उनकी हर एक शरारतों से हम मचलते थे
यही तो उस जमाने की सौगात थी
कुछ बीते पलों की बात थी…….

अब कॉलेज पुरी होने का पैगाम आ गया था
जुदाई का अचानक बादल छा गया था
वह हसीं बेसुमार पल इतने जल्दी बीत गए थे
लेकिन दुर जाने का मौसम पास आ गया था
उनके साथ दिल मेरा बसंत मेलो में खेला
सावन के उन यौवन से भीगा
ना जाने कहां से पतझड़ आ गया था
दोनो की राहें यूँ अलग हो गयी
मानो इक और प्यार जुदा हो गया था

यूँ तो जिंदा है वो मेरे दिल मे कही
तभी वहीं शरारत, इबादत याद आ गयीं
इन आखों में छुपा रखा है मेने उसे
इसीलिए तो हर पल मे वो फिर याद आ गयीं
अब तो यहां
बस रोते हुए दिल कि आवाज थी
कुछ बीते पलों की बात थी……..
कुछ बीते पलों की बात थी……..

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