“कुदरत का अनमोल रत्न”
कुदरत का अनमोल रत्न
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कुदरत का अनमोल रत्न है ये जीवन
जब हों फूल से रिश्ते तो
महकता है जीवन
अगर हों बेनाम से रिश्ते तो
सुगंध ही दुर्गंध बन जाती है
फिर बोझिल- सा लगने लगता है जीवन
स्वार्थ की पैनी दृष्टि जब
पड़ती है रिश्तों पर
कंकड़ की तरह
चुभने लगता है जीवन
बेबुनियाद जब अविश्वास
पनप उठता है
ताश के पत्तों के माफिक
बिखर जाता है जीवन…
कविता के माध्यम से जीवन की सच्चाइयों को बयां करती हुई बहुत सुंदर रचना
धन्यवाद आपका सुंदर समीक्षा
बहुत सुंदर
धन्यवाद
धन्यवाद