कूड़े का ढेर

जिसे कहते हो तुम कूड़े का ढेर;
वह कोई कूड़ा नहीं!
वह है तुम्हारी, अपनी चीजो का ‘आज’ |
जिसे खरीदकर
कल तुमने बसाया था घर में;
उन्ही चीजो का है यह ‘आज’ |
जिस जगह
तुम उड़ेल देते हो अपना कल;
उसी कूड़े के ढेर में खोजते है कुछ लोग
अपना आज |

जिन्हें ‘बेकार’ कहकर
फैंक देते हो तुम कचरे में,
उसी अपव्यय में तलाशते है कुछ लोग
अपना बहुमूल्य रजत-कंचन |
उनके थैलो में भरी हुई
बासी, बदबूदार, बेकार चीजे
उनके लिए कोई कूड़ा नहीं;
भरते है वे प्रतिदिन
उन मैले थैलो में अपनी रोटियाँ |

वह भूखा-नंगा बच्चा
जो बैठता है अपनी माँ के आँचल में,
जाड़े की कातिल ठण्ड में ठिठुरता!
जरा देखो!
देखो उसकी उदासीन आँखों में!
कैसे वह एक
फटे हुए कपडे की गर्माहट में
छिप जाना चाहता है!

क्षुधा से पीड़ित
वह बिमार बूढा!
जो उठा रहा है अपने सामर्थ्य से अधिक बोझ
अपने उन जीर्ण कंधो पर!
चाहता है वह कि आज
उसे सोना न पड़े खाली पेट!
कि कही थोड़ा-सा अधिक बोझ
उसे आज की रोटी कमा कर दे दें!

ज़रा देखो दृश्य अम्लान!
जिस अमीरी को तुम
रास्तो पर फैंक देते हो,
बेझिझक,
कूड़ा बना कर;
उस कचरे के ढेर में,
कुछ लोग
अपनी गरीबी मिटाने का उपाय ढूँढते है |
जिसे कहते हो तुम कूड़े का ढेर;
वह कोई कूड़ा नहीं!
वह तुम्हारा, खुद का,
‘आज’ है!

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

+

New Report

Close