कैद आजादी
कैद अपने ही घरों में हमारी आजादी रही थी,
सूनी परिचय के बिन जैसे कोई कहानी रही थी,
आसमाँ खाली रहा हो परिंदों की मौजूदगी के बगैर,
कुछ इसी तरह मेरे भारत की जवानी रही थी,
हिला कर रख देने में फिर वजूद ब्रिटिश सरकार के पीछे,
तब भगत सिंह और राज गुरु संग कई क्रांतिकारियों की कुर्बानी रही थी॥
राही (अंजाना)
nice
Thanks dada..
Plz or kaviyo se bhi like share krne ko.khe
Good
Awesome