कैद

तुम्हारी जुल्फों की कैद मिले
तो हर गुनाह कर जाऊं ।
कत्ल करूं कातिल बनूं
फिर तेरे पहलू में आऊं।
वीरेंद्र

Related Articles

मैं, मैं न रहूँ !

खुशहाल रहे हर कोई कर सकें तुम्हारा बन्दन। महक उठे घर आँगन, हे नववर्ष! तुम्हारा अभिनन्दन।। दमक उठे जीवन जिससे वो मैं मलयज, गंधसार बनूँ…

मातृत्वसुख

हर माँ शिशु के जीवन को संवारती खुद को खोकर, हर पहलू को निखारती । की कभी वह, स्वपहचान की भी अनदेखी कभी गहरी निद्रा…

गुनाह

जब दिल में दर्द सा उठा एक तीर सा चुभा, जो कल था मेरी निगाहों से मारा गया। आज मेरे ही दिल का कातिल बना।…

Responses

New Report

Close