कैसी वेबसी

ये कैसी बेबसी है
नाराज़गी को ढो रहे हैं
अक्षमता को आकने के बदले
दूसरे की कमियों को गिन रहे हैं ।
ये दिन है कैसा
ना उम्मीदों का आसिया है
ख़्वाहिशों के जलने की
चुपचाप मातम मना रहे हैं ।
हर दुआ अपनी
जो कभी कबूल हो गयी थी
उन मन्नतो से ही
अपने अपनों से ज़ुदा हो रहें हैं ।
हर साँस में जिनकी
ख़ैरियत की ही दुआ आ रही थी
वही गैर से बनकर
इल्जामो की झङी लगा रहे हैं ।
किसको कहे अपना
अपना कहाँ अब है कोई
अपने ही इतर की
अभिनय, मन से निभा रहे हैं ।

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

  1. बुरा जो देखन मैं चला
    बुरा ना मिलया कोय
    जो दिल खोजा आपनो
    मुझसे बुरा ना कोय”
    बहुत ही सत्य व स्तरीय रचना👌👌👌👌👌👌👌👌

  2. आशा है आप और भी खूबसूरत कवितायें हमें जल्दी ही प्रस्तुत करेंगी

New Report

Close