कैसे बताउ तुम्हे के क्या हो तुम

डिप्रेशन सी जिंदगी मे
चाय सा सुकून हो तुम

सुखे हुए खयालो की
संजीवनी बुटी हो तुम

तपते रेगीस्तान मे मिली
मधुर पानी की बुंद हो तुम

बांधे हुए दिल को मिली
जशन-ए-आजादी हो तुम

नजाने कितने सालो से
अनकही एक हसरत हो तुम

इत्तेफाक से बनी खास
एक एहसास हो तुम

गेहेरे जखमो पे लगाया
थंडा मरहम हो तुम

थके हुए मुसाफिर की
आखरी मंजिल हो तुम

खामोश हुइ जुबान मे
अनगीनत अल्फाज हो तुम

कैसे बताऊ अब के
क्या क्या हो तुम
एक तुटे हुए इंसान की
जरूरत हो तुम

उसके मोहब्बत की
असली हकदार हो तुम

प्यार हो तुम
इश्क हो तुम
परवर्दीगार हो तुम

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