कॉलेज के दिन…!!
तुम्हे याद हैं वो लम्हे
जब हम साथ पढ़ा करते थे
तुम्हारी कॉपी से देखकर
परीक्षा में लिखा करते थे
तुम मुझे कॉफी के लिए
रोज़ पूंछते थे और हम
मना कर दिया करते थे
आते थे कभी सज-धज कर
तुम हमारे सामने तो हम
तुम्हारा मजाक
उड़ा दिया करते थे
कभी लड़ते थे तुमसे
आँखें दिखाकर
तो कभी
परदे के पीछे छुप जाया करते थे
अब कहाँ रहे
वो कॉलेज के दिन
जब हम मुस्कुराया करते थे !!
अतिसुंदर रचना
सुन्दर
सुन्दर अभिव्यक्ति
बीते दिनों के संस्मरण को पाठक के समक्ष प्रकट करती सुन्दर रचना है यह। कवि प्रज्ञा जी की इस रचना से आम पाठक अपने कॉलेज के दिनों की यादों में विचरण करने लगता है। सभी के दिलों के साथ तारतम्य बैठाती सुन्दर प्रस्तुति।