Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
rajesh arman
हर निभाने के दस्तूर क़र्ज़ है मुझ पे
गोया रसीद पे किया कोई दस्तखत हूँ मैं
राजेश'अरमान '
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ख्वाब तो आफताब है
ख्वाब तो आफताब है शाम होते ही ढल जाते है राजेश’अरमान’
le jaao
चाहिये तो जनाब ले जाओ मेरे ग़म बे हिसाब ले जाओ सारी बातें तो आप ने कह दीं अब मेरा भी जवाब ले जाओ…
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✍?(अंदाज) ?✍ ——-$—— ✍ नूर हो तुम आफताब हो तुम लहर हो तुम लाजवाब हो तुम मेरे चाहते दिल की तमन्ना जवाॅ दिलकश गजब शबाब…
वाह