क्या लिखूँ जो दुनिया को भाये ।
गजल ।।
क्या लिखूँ जो दुनिया को भाये ।
मैं नहीं तो क्या कोई तो भाये जहां को ।।1।।
जहां को अगर लगते है शख्स वो प्यारे ।
तो मैं क्यूँ महफिल में सरेआम बदनाम हुँ ।।2।।
बदनाम मैं नहीं तो क्या वो आम आदमी है ।
जो जिस्म के बाजार में मेहनत के रोटि खाते है ।।3।।
जिनके ऊँची शान है, उनके बोल के भी कुछ दाम है ।
मगर जहां में फकीर के शान, सब मोल के महान ।।4।।
यूँही लोग आज कुछ लिख देते है ।
लोग बेवजह झंझट मोल लेते है ।।5।।
वो वक्त आज नहीं जो लेख को पढ़ते कोई ।
आज लोग सिर्फ पसंद टिप्पणियाँ पे ध्यान देते है ।।6।।
मगर मेरे दोस्त कवि शायर लेखक पसंद टिप्पणियाँ से कोशो दूर होते है ।
उनके विचार सूर्य के सूर्य के रौशनी तो क्या हर घरों में आबाद करती है ।।7।।।
जहां को अगर लगते है शख्स वो प्यारे ।
तो मैं क्यूँ महफिल में सरेआम बदनाम हुँ ।।8।।
कवि विकास कुमार
लगातार अपडेट रहने के लिए सावन से फ़ेसबुक, ट्विटर, इन्स्टाग्राम, पिन्टरेस्ट पर जुड़े|
यदि आपको सावन पर किसी भी प्रकार की समस्या आती है तो हमें हमारे फ़ेसबुक पेज पर सूचित करें|
Pragya Shukla - August 4, 2020, 10:59 am
👌
Satish Pandey - August 4, 2020, 2:58 pm
हूँ लिखिए हुँ नहीं
Pt, vinay shastri 'vinaychand' - August 5, 2020, 7:14 pm
किलोल