क्यों मनाएं किसी को।
क्यों मनाएं किसी को,
रूठना हमें भी आता है।
जो भूले बैठे हैं हमें,
भुलाना हमें भी आता है।
क्यों मनाएं किसी को,
रूठना हमें भी आता है।
जो भूले बैठे हैं हमें,
भुलाना हमें भी आता है।
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बहुत सुन्दर रचना
Thank you
सुंदर
धन्यवाद सर
सुन्दर पं्तियां
धन्यवाद जी
😃😃😃👌✍✍✍✍
🙏
बहुत उम्दा
Thank you
खत्म कर दिया किस्सा, अब रुठने मनाने का.. सुना है वो शख्स हैरान है, मेरे इस रवैये से..
धन्यवाद
Oh kya bat hai
धन्यवाद