क्यों वो शख्स …?
हाथ से मेरे कुछ लकीरें फिसल गई,
पलक झपकी ना थी कि…
पानी की कुछ बुँदे निकल गई,
एक झपकी मे ही सबकुछ बदल गया,
लाश तो एक गिरी थी …
पर इंसान हर एक बदल गया,
कुछ पलों मे ख्वाबो को छोड़ दिल जम गया,
मन मे है बस एक ही सवाल –
“क्यों वो शख्स बिछड़ गया “?
क्यों वो शख्स बिछड़ गया “?
-सचिन चौधरी (सनसनवाल)
waah sachin bhai
Thank you अंकित
Bahut hi umda friend
Thanks
anupam kavita
Thanks
beautiful words
Thanks
वाह बहुत सुंदर रचना
Bhtr
बहतरीन
हाथ से मेरे कुछ लकीरें फिसल गई,
पलक झपकी ना थी कि…
पानी की कुछ बुँदे निकल गई,
बहुत सुंदर