खंजर हीं साथी
देख द्रोपदी तुझे बचाने वाला न कोई अपना होगा।
अपने हीं तो आँचल खींचे
अपने खड़े हैं शीश झुकाए।
बने गुलाम धर्मवीर सब
अंधा राजा देख न पाए।।
नास्तिकता के बीच में कृष्ण का आना सपना होगा।
देख द्रोपदी तुझे बचाने वाला न कोई अपना होगा।।
श्राप अगर देना चाहोगी
गंधारी आएगी आड़े।
नारी का वैरी नारी हो तो
कौन वैरी का बुत्था झाड़े।।
अपनी रक्षा खुद करने को खंजर साथ में रखना होगा।
देख द्रोपदी तुझे बचाने वाला न कोई अपना होगा।।
सुन्दर रचना
धन्यवाद
Nice
Nice
वाह
Sundar