Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Tags: दोस्ती पर कविता
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निजी स्वार्थ से ऊपर होती है दोस्ती
वाह क्या बात है बहुत ही अच्छी रचना है
आपकी लेखनी को सलाम
सुन्दर समीक्षा हेतु आपका बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
आपकी सोच और लेखनी दोनों ही बेहतरीन हैं। वाह
आपकी इस टिप्पणी का हृदय से आभार चंद्रा जी 🙏
Wow जितनी तारीफ की जाए कम है
बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद आपका कमला जी 🙏
आपको मेरी रचनाएं पसन्द आईं…..
अतिसुंदर भाव
बहुत बहुत शुक्रिया आपका भाई जी 🙏
Very nice lines
Thank you ji🙏
Very very nice, you are great poet
Thank you very very very much Isha ji for your pricious complement 🙏
बहुत सुंदर पंक्तियां
बहुत बहुत धन्यवाद जी 🙏
इसीलिए तो सबसे उपर होती है दोस्ती..
“खुद ही खुद बन जाती है दोस्ती”|,
आपकी लेखनी से सत्यता उजागर हुई है, मैत्रीय संवेदना सुंदर शिल्प के साथ प्रकट हुयी है, लेखनी को सलाम है, अद्भुत क्षमता है। वाह
इतनी सुन्दर समीक्षा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद एवम् आभार।
आपकी समीक्षाएं बहुत उत्साह वर्धन करती हैं।🙏🙏
दोस्ती के विषय में बहुत ही सुंदर पंक्तियां
बहुत बहुत धन्यवाद मोहन जी🙏
सही कहा आपने
Thanks pragya
Bahut Sundar Panktiya
बहुत सारा धन्यवाद इन्दु जी🙏
दोस्ती के ऊपर बहुत सुंदर कविता
बहुत बहुत शुक्रिया