Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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Khamoshiya (खामोशियां )
,,,,,,,मैरी हजारो बातें हजारो लोगो के बीच यू गूम हो सी जाती है, मेरी वही अनकही सी बातें जुबां पर आते आते ना जाने क्यू…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
ऐसा क्यों है
चारो दिशाओं में छाया इतना कुहा सा क्यों है यहाँ जर्रे जर्रे में बिखरा इतना धुआँ सा क्यों है शहर के चप्पे चप्पे पर तैनात…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
सूखे दरख्त रोते हैं क्यों
जहाँ सबसे पहले सूरज निकले वहाँ खौफ का मरघट क्यों जहाँ काबा -काशी एक धरा पर उस माटी में दलदल क्यों खून के आंसू रो…
Well said
धन्यवाद पन्ना
Osm
Thank you
Nice
Thank you