Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
ज़िंदगी तुम बहुत ही खूबसूरत हो…
ज़िंदगी तुम बहुत ही खूबसूरत हो… ………………..++++……………….. ज़िंदगी तुम बहुत ही खूबसूरत हो… सूनसांन बंजर राहों से हो कर गुज़रती हो फिर भी हँसती खिलखिलाती…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
मिस्टर लेट लतीफ
हरेक ऑफिस में कुछ सहकर्मी मिल हीं जाएंगे जो समय पर आ नहीं सकते। इन्हें आप चाहे लाख समझाईये पर इनके पास कोई ना कोई बहाना…
करो परिश्रम ——
करो परिश्रम कठिनाई से, जब तक पास तुम्हारे तन है । लहरों से तुम हार मत मानो, ये बात सीखो त जब मँक्षियारा नाव चलाता,…
Bahut hi Sundar panktiya
बहुत बहुत धन्यवाद
अतिसुंदर भाव
सादर धन्यवाद
सुन्दर
बहुत बहुत धन्यवाद
वाह सर, जीवन में नेह.., घर की सुंदर फुलवारी ,बहुत सुन्दर शब्दों का चयन किया है ,खूबसूरत लेखन शैली । काबिले तारीफ़ रचना है सतीश जी आपकी लेखनी को प्रणाम AWESOME WRITING.
आपने बहुत ही सुंदर समीक्षा की है। इस अनुपम समीक्षा शक्ति और लेखनी की प्रखरता को सादर अभिवादन
Welcome sir
बहुत शानदार
धन्यवाद
कमाल वाह
Thank you
बहुत खूब, लाजबाव
Thanks