खिल गई है सुबह

खिल गई है सुबह
जाग जा अब पथिक
हाथ-मुँह धो ले,
न कर आलस अधिक।
काम पर लग गई है दुनिया
चींटीं से लेकर हाथी तक
अपना चुके हैं,
मेहनत का पथ।
उड़गन भी
नित्यकर्म पूरा कर,
चल पड़े हैं ड्यूटी पर,
उठ तू भी,
लिख दे चार शब्द
प्राकृतिक ब्यूटी पर।
रात का अंधेरा बीत गया
सुबह हो गई जवाँ,
उठ जुट जा तू भी
समय मत गँवा।

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Responses

  1. रात का अंधेरा बीत गया
    सुबह हो गई जवाँ,
    उठ जुट जा तू भी
    समय मत गँवा।
    _______ कवि सतीश जी ने प्रातः काल की बेला का बहुत सुंदर चित्रण प्रस्तुत किया है इस कविता में। सुन्दर शिल्प और अति सुन्दर अभिव्यक्ति

  2. खिल गई है सुबह
    जाग जा अब पथिक
    हाथ-मुँह धो ले,
    न कर आलस अधिक।
    काम पर लग गई है दुनिया
    चींटीं से लेकर हाथी तक
    अपना चुके हैं,
    मेहनत का पथ।
    उड़गन भी..
    प्रात काल का सुंदर वर्णन करती हुई रचना भोर का प्रकृति चित्रण करती हुई रचना

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