खुद की गलती देख ले(कुंडलिया छन्द)

खुद की गलती देख ले, गर अपनी यह आंख,
तब सुधार होगा सरल, खूब बढ़ेगी साख।
खूब बढ़ेगी साख, कमी खुद दूर रहेगी,
गलत दिशा में न जा, हमेशा यही कहेगी।
कहे लेखनी अगर, देख लो खुद की गलती,
तब पाओगे स्वयं , आप चारित्रिक बढ़ती।

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

  1. वाह वाह,बहुत खूब,
    खुद की गलती देख ले, गर अपनी यह आंख,
    तब सुधार होगा सरल, खूब बढ़ेगी साख।
    ________कुंडलिया छंद में बहुत सुंदर संदेश देती हुई कवि सतीश जी की बेहतरीन रचना। अति उत्तम लेखन

+

New Report

Close