तुम खिलखिलाते खिल उठे
गुलशन लजा गया ।
पहले कभी खिलाफ नहीं,
ऐसा गुलाब था ।…..खुशियों की गंध मुबारक हो।
आपका….. जानकी प्रसाद विवश…..।
तुम खिलखिलाते खिल उठे
गुलशन लजा गया ।
पहले कभी खिलाफ नहीं,
ऐसा गुलाब था ।…..खुशियों की गंध मुबारक हो।
आपका….. जानकी प्रसाद विवश…..।