Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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ऐसा क्यों है
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
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जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)
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काका हाथरसी के स्टाइल में जीवों पर दया भाव दिखाती हुई कवि सतीश जी की बेहद मार्मिक रचना
नववर्ष की बहुत बहुत बधाई, शुभकामनाएं
नव वर्ष की बहुत बहुत बधाई। HAPPY New Year
मुझे आपकी रचना पढ़कर कबीरदास याद आ गये..
सही कहा यह बहुत पीड़ादायक है
बेजुबानों की हत्या करके खुशियां मनाना
बकरी पाती खात है
ताकी काढ़ी खाल |
जे नर बकरी खात हैं
तिनको कौन हवाल ||
क्षुधा मिटाने की खातिर,
निर्दोषों को है मारा,
कैसा है शैतान वो मानव,
जीवों ने लगाया है नारा
क्षुधा मिटाने की खातिर
कुदरत ने फल, फूल बनाए हैं
फिर जीवों को क्यूं मारा जाए
वो भी तो कुदरत से आए हैं
Very nice sir
अतिसुंदर भाव