Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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यादें
बेवजह, बेसबब सी खुशी जाने क्यों थीं? चुपके से यादें मेरे दिल में समायीं थीं, अकेले नहीं, काफ़िला संग लाईं थीं, मेरे साथ दोस्ती निभाने…
न्याय बीमार पड़ी है, कानून की आँख में पानी है
अत्याचार दिन ब दिन बढ़ रहे हैं भारत की बेटी पर। रो-रो कर चढ़ रही बिचारी एक-एक करके वेदी पर ।। भिलाई से लेकर दिल्ली…
खूब खेली मोहन मेरे दिल से होली
खूब खेली मोहन मेरे दिल से होली नैनों से नींदो की कर ली है चोरी तुझसे मिलने पहले मैं थी चित् कोरी अब चित मेरा…
नवसंवत्सर को नज़राना
फाल्गुन की ब्यार में, कोयल की थी कूक गिरते हुए पत्तों की सरसराहट उर में उठाती थी हूक॥ जीवंत हो उठी झंझाएँ मानो कुछ कहती…
आहुति
आहुति ——– अम्मा! तुमसे कहनी एक बात.. कैसे चलीं तुम? बाबूजी से दो कदम पीछे… या चलीं साथ। कैसे रख पाती थीं तुम बाबूजी को…
वाह
Thank you
awesome
Thank you
Waah
Thank you