खौफ

अन्याय हुआ था अगर
इंसाफ की दरकार थी
परिवार ही गायब हुआ
खौफ बदनामी की थी

ऐसे भेड़ियों को तब
किसने सिंघासन दिया
न्याय की अ ब स भी
जिसे नहीं मालूम थी

सर्वदा जिसने हमेशा
दर्द का वृक्षारोपण किया
आज दर दर भटक रहें
दोष पे न कभी निगाह की

क्षमा दया की धरती को
लालचियों ने दूषित किया
हमारे आदर्श वो राम थे
मानव चरित्र की वरदान दी

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