Categories: शेर-ओ-शायरी
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यादें
बेवजह, बेसबब सी खुशी जाने क्यों थीं? चुपके से यादें मेरे दिल में समायीं थीं, अकेले नहीं, काफ़िला संग लाईं थीं, मेरे साथ दोस्ती निभाने…
देश दर्शन
शब्दों की सीमा लांघते शिशुपालो को, कृष्ण का सुदर्शन दिखलाने आया हूं, मैं देश दिखाने आया हूं।। नारी को अबला समझने वालों को, मां…
अब फकत एक ही चारा है..
‘अब फकत एक ही चारा है बस दवा के सिवा, कोई सुनता, न सुनेगा यहाँ खुदा के सिवा.. खुदा के मुल्क में इक बस इसी…
सारा जीवन खो आया हूँ तब आया हूँ
सारा जीवन खो आया हूँ तब आया हूँ पाप पुण्य सब ढो आया हूँ तब आया हूँ तुम पावन हो देवतुल्य, मैं तुम्हें समर्पित कलुष…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
वाह, अतीव सुन्दर, क्या कहने
धन्यवाद
बहुत खूब
Thank u
दिल की बातों को कैसे कागज़ पर इतनी खूबसूरती से उतार लेती हो।
कमाल का हुनर है।
बस दर्द ही इतना है कि हर बात पर कविता लिख सकती हूं
सुंदर
Thanks
काफी लाजवाब है।
Thanks
सुन्दर पंक्तियां