गजल- अवकात नही |
गजल- अवकात नही |
चाहे जितना ज़ोर लगा ले दुशमन डर हमे कोई खास नहीं |
डरा दे भारत कोई अफसोस मगर इतनी भी अवकात नही |
लौकी का बतिया नहीं भारत जो अंगुली देख मुरझा जाये |
गर्व हमे विरो अपने मत कहना हमे तुमपर विश्वाश नहीं |
सर बांध कफन सीमा डटे रहते हरदम है तुमको सलाम |
दम इतना कहा दुशमन जो सह सके हमारा आघात नहीं |
जिस जननी ने जन्म दिया सिर चरणों उसके झुकाते है |
लड़ते लड़ते मर जाये गर दे न सके विजय सौगात नहीं |
हट गया चीन पीछे सीमा पर सुन भारत की ललकार को |
छिन सकता जान मगर छिन सकता भारती जज़बात नहीं |
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड ,मोब 9955509286
सुन्दर
haardik aabhaar
अच्छी रचना
haardik abhaar
वाह
👏
👌👌