Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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मैं हूँ नीर
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
गति
उथल पुथल सी होती है क्यों, मन की गति को रोक सही भटक भटक कर थक गया, स्थिर हो तू बैठ कहीं -विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
ओडिशा यात्रा -सुखमंगल सिंह
यात्रायें सतयुग के सामान होती हैं और चलना जीवन है अतएव देशाटन के निमित्त यात्रा महत्वपूर्ण है | मानव को संसार बंधन से छुटकारा पाने…
हिन्दी गीत- तेरे रूप का सिंगार करूँ |
हिन्दी गीत- तेरे रूप का सिंगार करूँ | तेरे रूप का सिंगार करूँ | तुझपे दिल निसार करूँ | आंखो मे काजल लगा दूँ |…
जब भी मैं तुझसे
जब भी मैं तुझसे कहीं पर मिलता हूँ, सोचता हूँ कि कम से कम आज तो, तेरे आँचल में सर रख कर तुझको निहारता हूँ,…
Ati sundar
धन्यवाद आपका
बहुत बहुत आभार आपका