गरीबी
गरीबी एक एहसास है,
इसमें एक मीठी सी दर्द है,
रोज़ की दर्द में भी संतोष छिपी है,
फकीरी में अमीरी का एहसास है,
शायद यही गरीबी है l
मुर्गे की बांग से सुबह जग जाना,
नई उलझनों में फंस जाना,
उलझनों को सुलझाने की कोशिश करना,
पक्षी की चहक के साथ घर वापिस आना,
शायद यही गरीबी की पहचान है l
गरीबी में न टूटना,
जरूरतों मे भी न झुकना,
ज़रूरतों को कर्म से पूरी करना,
विफलताओं में ईश्वर को कोसना,
शायद यही गरीबी रेखा है l
कल की राशन को आज सोचना,
बच्चों को गले लगा नीत काम में निकल जाना,
नीर पी दिवा बिता लेना,
फिर बच्चों के लिए कुछ लाना,
उनकी हंसी से थकान दूर हो जाना,
शायद यही गरीबी की निशानी है l
अपनों की ज़रूरत का पूरी न कर पाना,
घर आकर झल्ला उठना,
दूसरे दिन फ़िर से कोशिश करना,
गरीबी की दर्द को भाग्य समझ लेना,
शायद यही गरीबी की लकीर है l
दर्द में थोड़ी खुशियाँ ढूंढ लेना,
आज की शौक को सालों में पूरा करना,
बच्चों का आदर्श बन जाना,
जीवन को धूप और छांव से श्रींगार करना,
शायद यही गरीबी में संतोष है l
मिट्टी को विस्तर, आसमान को चादर समझना,
अँधेरी रात में चाँद को निहारना,
बेफिक्र होकर खर्राटे लेना,
दिन में भाग्य बदलने का अथक प्रयास करना ,
शायद यही गरीबी से जुझना है l
हर रोज नई उड़ान भरना,
थक के चूर हो जाना,
गिर के फिर सम्भल जाना,
ग़रीबी में हर भाव का होना,
यही भाव फकीरी को अमीरी बनता l
फकीरी को अमीरी बनता ll
Rajiv Mahali
अतिसुंदर
Thank you
वाह
Thank you
वाह जी वाह
Thank you
अतिसुंदर
Thank you